गुरु कृपा से .....
श्री जैन रत्न हितैषी सूरत संघ का परिचय
परम पूज्य आचार्य भगवंत 1008 श्री हीराचन्द्रजी म.सा. की असीम कृपा से 8 फ़रवरी 2003 को मुमुक्षु बहिन कु.पायलजी खिंवसरा जो वर्तमान में महासती श्री पदमप्रभाजी म.सा. नाम से जाने जाते है,उनकी दीक्षा महोत्सव का सुयोग श्री जैन रत्न हितैषी सूरत संघ को प्राप्त हुआ। पुज्य गुरु भगवंत दक्षिण भारत का यशस्वी प्रवास कर वर्ष 2009 में गुजरात की पुण्य पावन धरा सूरत में पधारे । आप श्री ने लगभग एक माह तक सुरत के सभी उपनगरो में विचरण कर अमृतमय जिनवाणी द्वारा संघ मे एक नई उर्जा का संचार किया । फ़लस्वरुप गुरु कृपा से श्रावको के आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रगती के लिये स्थानक भवन के निर्माण हेतु भूमि क्रय करने का एतिहासिक कदम उठाया गया । अध्यात्म चेतना वर्ष में 26 जनवरी 2010 को अखिल भारतीय श्री जैन रत्न हितैषी संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के सान्निध्य में शिलान्यास का कार्यक्रम सुसम्पन्न हुआ । मार्च 2015 तक संघ हेतु श्रावको और श्रावीकाओ के लिये दोष रहित एंव सभी सुविधाओं से युक्त ...

श्री सोहनलाल नाहर स्वाध्याय भवन

का निर्माण सम्पन्न हुआ एंव सरकार द्वारा उस रोड़ का नाम

आचार्य हस्ती मार्ग

स्वीकृत कराने की उपलब्धि भी सूरत संघ को प्राप्त हुयी ।

गुरुकृपा से वर्ष 2015 का चार्तुमास व्याख्यात्री महासती श्री इन्दुबालाजी म.सा.आदि ठाणा -5 का तथा वर्ष 2016 का व्याख्यात्री महासती श्री रुचिताजी म.सा आदि ठाणा -6 का तथा वर्ष 2017 का जयमल्ल जैन सम्प्रदाय के तत्वचिन्तक श्रदेय श्री सुमतिमुनी जी म.सा.आदि ठाणा-2 का तथा वर्ष 2018 का चार्तुमास परम विदुषी महासती श्री सौभाग्यवतीजी म.सा.आदि ठाणा-5 का तथा वर्ष 2019 का चार्तुमास उत्तर भारतीय जैन संघ के पूज्य गुरुदेव श्री सुदर्शन लाल जी म.सा.के आज्ञानुव्रती बहुश्रुत पडिंत श्री जयमुनीजी म.सा.आदि ठाणा-6 का तथा 2020 का चार्तुमास सेवाभावी मधुर व्याख्यानी श्रदेय श्री नन्दीषेणजी

म.सा.आदि ठाणा-4 का तथा 2021 का चार्तुमास परम विदुषी महासती श्री सौभाग्यवतीजी म.सा.आदि ठाणा-5 का सम्पन्न हुआ।

सूरत संघ मे स्वाधाय भवन मे प्रतिदिन सामायिक,स्वाध्याय,प्रतिक्रमण, साप्ताहिक सामूहिक रविवारीय सामायिक,पाक्षिक पर्व का प्रतिक्रमण कर श्रावक-श्राविकाए आध्यात्मिक उत्थान की और अग्रसर है । सामूहिक रविवारीय सामायिक के दिन मे सुबह मे सामायिक के पश्चात 11 बजे सभी श्रावक-श्राविकाए एक साथ मे बेठकर भोजन करते है जो की एक पुरे भारत मे अनुठी मिशाल है और सूरत संघ के इस कार्यक्रम से पाठबोध लेकर अन्य दुसरे संघो ने भी इस कार्यक्रम को अपनाया है ।

सामाजिक गतिविधियों में भी संघसेवा,जीवदया,खेलकूद,रक्तदान-महादान,स्वामी वात्सल्य एवं प्रतिवर्ष पारिवारिक स्नेह मिलन के कार्यक्रम निरन्तर जारी है जिसमे अभी तक सापुतारा,माथेरान,महाबलेश्वर,शासनगीर,एवं विदेश की धरती सिगांपुर में उत्साह पूर्वक सफ़ल आयोजन किया जा चुका है ।

खेलकूद के क्षेत्र मे भी सूरत संघ की रत्नम शाखा द्वारा एक बार खुले मेदान मे और एक बार बोक्स क्रिकेट प्रतियोगीता का सफ़ल आयोजन किया जा चुका है जिसमे संघ के परिवारो को और युवा साथीयो को जोडने मे अभुतपूर्व सफ़लता अर्जित की गयी है ।

सुरत संघ की विहार सेवा भी बहुत ही अनुमोदनीय रही है सूरत संघ प्रतिवर्ष लगभग 130 से 150 किलोमीटर की विहार सेवा का लाभ लेता रहा है ।

आज सूरत संघ ने एक परिवार का रुप ले लिया है । आज हर सदस्य एक दुसरे के सुख-दु:ख में सहभागी बनने के लिये सदैव तत्पर रहता है ।

“मैं-हूं सबका सब है मेरे,नही पराया कोई रहे”

यह भावना संघ के प्रत्येक सदस्य के ह्र्दय में गहराई तक उतर गयी है,यह सब परम पूज्य गुरु भगवंतो की असीम निरन्तर कृपा का ही आशिर्वाद है की आज सूरत संघ से लगभग 190-200 परिवारो का संघ से जुड़ाव हो गया है ।

सुनील नाहर महा्निर्देशक-श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,सूरत